
हम भारतीयों की सबसे बड़ी पहचान है 'काम देर से करना' या फिर' कहीं भी समय पर न पहुँचना ।' हम लोगों ने अनेक मायनों में पश्चिमी सभ्यता को स्वीकार किया है लेकिन आज तक अपनी लेट होने की संस्कृति को सहेज कर रखा है। इसका सबसे बड़ा श्रेय हमारे देश के सरकारी कर्मचारियों को जाता है । दुनिया भले ही इधर से उधर हो जाए लेकिन इन्होने आजतक अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया । हमारे यहां इमर्जेन्सी का तो कोई कांसेप्ट ही नहीं है । यहां पर सरकारी अस्पतालों में भी इमर्जेन्सी में इलाज कराने के लिए भी लंबा इंतेज़ार करना पड़ता है क्योंकि यहां पर इमर्जेन्सी भी थोड़ी देर से शुरू होती है । सरकारी दफ्तरों में अक्सर कर्मचारियों के भूत काम करते हुए देखे जा सकते हैं । ये लोग अटेंडेंस रजिस्टर पे तो उपस्थित रहते हैं लेकिन इनके दर्शन करने के लिए दिव्य दृष्टि की आवश्यकता होती है । वर्तमान सरकार सरकारी कर्मचारियों की इस आदत पर नियंत्रण करने के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम वाली मशीने लगवा रही है । इसी वजह से अधिकतर लोग सरकार को गाली देते नज़र आ जाते हैं । जैसे उनका जन्मसिद्ध अधिकार छीन लिया गया हो । हमारे देश टांस्पोर्ट शायद पूरे विश्व में अद्वितीय होगा । भारतीय रेल अपने आप को मुख्य अतिथि समझती है जो अगर समय पर पहुंच जाएगी तो उसकी इज्जत भी काम हो सकती है । समय पर पहुचने वाले व्यक्ति को यहाँ इस तरह घूरा जाता है जैसे वह आसमान से उतरा हुआ कोई एलियन हो । यहां समय पर पहुचने वाले व्यक्ति को शर्मिन्दा होना पड़ता है क्योंकि लोग उसपर इल्जाम लगाते हैं की इसके पास कोई काम तो है नहीं, बस मुह उठा के चल देता है । अभी हाल ही में सरकार ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की जिससे कुछ उम्मीदें बन रही हैं कि भविष्य में हमारी गति में बढ़ोत्तरी होगी लेकिन यहां तो इंटरनेट भी ट्रेन की स्पीड से चलता है । इसका कोई पता नहीं सिग्नल मिलना कहाँ बंद हो जाए और हमारा इंटरनेट जवाब दे जाए । अभी हाल ही में एक खबर पढ़ी जिसमें लिखा था की रेलवे टिकट बुकिंग के लिए irctc कुछ नए सर्वर खरीदने जा रही है तो मुझे इतनी खुशी हुई जैसे कि ये सारे सर्वर मेरे घर में ही लगाए जा रहे हों । वैसे मुझे पता है कि यही काम कौन सा जल्दी होने जा रहा है । उम्मीदों पर दुनिया कायम है । कभी तो वह दिन आएगा जब हमारे देश में भी समय के पाबंदी समझी जाएगी । लेकिन इसके लिए सबसे पहले दूसरों को कोसना छोड़कर हमें स्वयं समय का अनुपालन करना सीखना होगा ।