मंगलवार, 3 नवंबर 2015

आधा इतवार

Image result for lodhi gardenकई दिनों से ब्लॉग लिखने का समय नहीं मिल रहा है। आज एक परीक्षा थी और शाम को एक कार्यक्रम में जाना है तो सोंचा कि बाकी का समय थोड़ा सुकून से गुजारा जाए, इसलिए अपना आधा इतवार बिताने लोधी गार्डन आ गया। यहां आ के एसा लगा कि वाकई में हमारे देश में लोकतंत्र है। यहां न तो कोई बीफ की बहस थी और न कोई सम्मान लौटाने का किस्सा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी मस्ती करते दिखे। यहां चिड़ियों और इंसानों की भीड़ में कोई खास अंतर नहीं दिखा। कोई नुक्कड़ नाटक कर रहा था तो कोई गाना गा रहा था। यहाँ कोई भी खुल कर गाना गा सकता है चाहे वो किसी भी देश का हो। शायद यहाँ कोई स्याही लेकर भी नहीं आता है।

यहाँ प्रेमी युगल भी थोड़ा सुकून से बैठते हैं और दुनिया भर की तू-तू मैं-मैं से दूर प्यार की दो बातें करते हैं। दिल्ली की इस भीड़-भाड़ में अब ठीक से रूठना मनाना भी तो नहीं हो पाता है और अगर ऐसा कुछ होता भी है तो मोबाइल पर होता है। प्रेमिका अगर रूठ जाती है तो मोबाइल स्विच ऑफ कर देती है, अब बेचारा प्रेमी उसे मनाए भी तो कैसे। खैर ये इतवार की छुट्टी और यह लोधी गार्डन प्यार को जगाए रखने की पूरी सहूलियत देता है। यहाँ जितनी तरह की वनस्पतियां हैं उतनी ही तरह के लोग भी आते हैं। सभी जमीन पर बैठ कर खाना खाते हैं। यहाँ भीड़ तो खूब होती है लेकिन कोई भी आपकी खाने पीने की निजता पर हमला नहीं करता है। ऐसी जगहें वाकई में थोड़ी देर के लिए दुनिया दारी को भुला देती हैं। यहाँ बैठकर प्यार के दो पल बिताना बहुत अच्छा है लेकिन यह पल बैठकर बिताए जाएं तो ज्यादा अच्छा है। पार्क को बेडरूम बना देना भी ठीक नहीं है। हो सकता है कि यह बात मुझे ही अजीब लगती हो क्योंकि मैं गाँव का रहने वाला एक सामान्य व्यक्ति हूँ लेकिन मैने एक से एक मॉडर्न मां बाप को भी अपने बच्चों का ध्यान उधर से हटाने की कोशिश करते हुए देखा है। बच्चों को झाड़ियों की तरफ से जबरदस्ती खींच कर खुले में ले जाते हुए देखा है। वो तो काफी मॉडर्न हैं फिर भी पता नहीं क्यों असहज महसूस करते थे। लोकतंत्र अपनी जगह है और सबकी भावनाएं अपनी जगह हैं। खैर बरदाश्त करना भी लोकतंत्र को मजबूत करने का रास्ता हो सकता है। शायद यही कारण है कि यहाँ अमन बरकरार है। काश हमारा देश भी इसी पार्क की तरह हो जाता जहाँ कोई किसी की निजी ज़िंदगी में दखल भी न देता और थोड़ा बहुत दूसरों को बरदाश्त भी कर लेता। ये आधा इतवार बहुत कुछ सिखा गया।