रविवार, 21 जून 2015

योग वर्षा

yoga day के लिए चित्र परिणाम21  जून का दिन वास्तव में हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है । आज भारत के साथ-साथ विश्व के 193  अन्य देश भी योग दिवस मना रहे हैं । किसी भी देश के विकास के लिए वहां के नागरिको का स्वस्थ्य होना बहुत आवश्यक होता है । शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए योग एक अच्छा माध्यम है । आज ह्त्या, बलात्कार और लूट जैसी घटनाएं आम हो गयी हैं । इन घटनाओं के पीछे विकृत मानसिकता जिम्मेदार होती है । इन घटनाओं को रोकना किसी भी क़ानून के वश  में नहीं है जब तक कि  लोगों मानसिकता को न सुधार जाए । योग  इस दिशा में एक अच्छा कदम है । जिन्हे योग से परहेज है वो अपना परहेज करते रहे क्योंकि शायद योग उनका  स्वास्थ्य  बिगड़ सकता है । अगर योग दिवस मनाने और योग को बढ़ावा देने को राजनीति का नाम दिया जा  रहा है तो यह कदापि अनुचित नहीं है , बल्कि यह एक अच्छी राजनीति है । लोकतंत्र में अगर विरोध  गूंजे तो बात अधूरी रह जाती है लेकिन विरोध का कोई सर पैर भी होना चाहिए । योग में कोई  कमी नहीं नज़र आई तो  सूर्य नमस्कार का विरोध करना शुरू कर दिया। सूर्य तो हमारा पालक पिता है और अगर हम  अपने पिता को नमस्कार करते हैं तो सूर्य को क्यों नहीं कर सकते हैं ।  किसी में इतना अहंकार आ जाये को वह हर किसी को अपना सेवक समझे और उपकारों के प्रति कृतज्ञ न होना चाहे तो अलग बात है । अहंकार का जीवन बहुत लंबा नहीं होता है । कुछ राजनेता ऐसे भी हैं जिन्हे योग दिवस के  कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया तो वे विदेश पलायन कर गए । जैसे की योग न हो गया महामारी हो गयी ।  शायद इसीलिये उन्हें अक्सर काम के समय इलाज कराने के लिए भी विदेश की शरण लनी पड़ती है । अगर वे अपने घर में भी योग करते  होते तो आत्ममंथन के लिए विदेश न भागना पड़ता । योग का अर्थ होता है जोड़ना लेकिन इसमें भी लोगों को तोड़ने की राजनीति ही नज़र आई । सावन के अंधे को सब हरा हरा ही दिखता है । योग की परिभाषाएं समझाने का कोई मतलब भी नहीं बनता क्योंकि जिन्हे जानना है वो तो जान  ही लेते हैं और जिन्हे नहीं जानना है उन्हें क्या समझाया जाए । मैंने आज तक नहीं सुना कि  किसी को पकड़कर जबरदस्ती योग कराया गया है । फिर इतनी परेशानी क्यों हो रही है । जिसे नहीं करना है वह न करे लेकिन कम से कम भारतीय सभ्यता का अपमान तो न करे ।सबसे  ज्यादा परेशान तो आज के तथाकथित कम्युनिस्ट और सेक्युलर लोग हो जाते हैं । आजकल सारे कम्युनिस्ट लूट खा रहे हैं और मुह से बड़ी बड़ी बाते करते रहते हैं । मुझे तो कोई भी कम्युनिस्ट अपनी सैलरी समाज सेवा में लगाता हुआ नज़र नहीं आता है । अपने को ब्रह्मज्ञानी कहलवाने में इन्हे बड़ा मजा आता है । भारतीय संस्कृति का नाम आते ही ये ऐसे बिदक जाते हैं जैसे किसी साँढ़ को लाल कपड़ा दिखा दिया गया हो । सेकुलरों का तो कहना ही क्या । जो अपने ही धर्म का सम्मान न कर सके वो दूसरों के धर्म का क्या करेगा । योग तो ऐसी चीज है जो किसी धर्म विशेष की निजी संपत्ति नहीं है ।योग  पूरी मानवता के लिए एक वरदान है । महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी ने भी योग के द्वारा ही आत्मज्ञान प्राप्त किया था । योग से दूर रहने वाले लोग या तो संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त हैं या फिर वे बहुत डरे हुए हैं । योग का सामान्य अर्थ गीता में अप्राप्त को प्राप्त करने का प्रयास बताया  गया है । कुछ भी हो, विरोध करने वाले लोग अपना का करते रहें । योग वर्षा का आरम्भ हो चुकी  है । यह वर्षा पूरी मानवता को शीतल और निर्मल करने के लिए है । योग की शरण में जाने वाले लोग बिना किसी भेदभाव के लाभान्वित होते हैं । इससे बड़ी धर्मनिरपेक्षता और क्या हो सकती है । कम  से कम  हम में अपनी भलाई के लिए विचार करने की शक्ति तो होनी चाहिए और अगर नहीं है तो योग के द्वारा मेधा शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए । 

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