रविवार, 10 मई 2015

कूलर बनाम ऐ. सी.

old cooler images के लिए चित्र परिणामगर्मियां आते ही हमें पंखा, कूलर सब याद आने  लगता है जैसे मुसीबत आते  ही नानी याद आने लगती हैं । बेचारा वही कूलर जो पूरे पूरे आठ महीने झक्ख मारता रहता है और धूल फांकता रहता है फिर नहा धोकर सेवा करने के लिए तैयार हो जाता है ।कूलर और पानी का बड़ा गहरा सम्बन्ध है । बिना पानी के कूलर भी हीटर हो जाता है ।  कूलर और पानी का वही सम्बन्ध है जो जो सरकारी लोगों का रिश्वत से है । उनकी गर्मी तब तक ही रहती  है जब तक उनकी जेब ठंडी रहती है । जेब में थोड़ी चाय पानी डालते ही सारी गर्मी शांत हो जाती है । इसी तरह कूलर में पानी डालते ही ठंडी हवा बरसाने लगता है । अब लोगों के यहां कूलर कम और ए.सी. ज्यादा दिखाई देते  हैं । जैसे ए.सी  दीवार पर चढ़ी  रहती है वैसे ही ए.सी. वाले लोगों  भाव  साल भर चढ़े रहते हैं । बेचारे कूलर वालों की ज़िंदगी में कूलर की ही तरह उतार  चढ़ाव आते रहते हैं । हम पंखे  वालों की बात ही क्यों करें क्योंकि उन्हें पूछने वाला कोई है ही नहीं ।  जैसे पंखा  लटका रहता है  वैसे ही पंखे वालों की किस्मत भी लटकी होती है । गाँव में तो लोगों ने पंखे लगाए लेकिन पंखे को चलता हुआ देखने के लिए उन्हें रातों की नींद  खराब करनी पड़ती है । बेचारा पंखा भी रुका रुका जाम हो जाता है  । लोग पंखे के नीचे  लेटकर जब हाथ का पंखा   डुलाते हैं तो  छत  पर  लटका हुआ पंखा उसे देखकर जलता रहता है । शहरों में तो अब लोगों को  पंखे की आदत ही छूट गयी है । झुग्गियों में भी कूलर अपना मुह घुसाकर झांकता रहता है । फिलहाल कूलर बड़ा रहमदिल होता है जिस तरह से कूलर लगाने वाले लोग होते हैं । कूलर अपना कमरा ठंडा कर देता है बाकी बाहर की दुनिया से उसे कोई मतलब नहीं होता है । बस सुबह शाम पीने को चार बाल्टी पानी मिल जाए और थोड़ी सी बिजली , बेचारा खुश रहता है । ए.सी. बहुत स्वार्थी होता  है । अपना कमरा तो ठंडा कर लेता है और बाहर इतनी गर्मी फेंकता है की बगल से गुजरने वाला इंसान आधा झुलस जाए । ए. सी. वालों का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही होता है । अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता । इतने सितम के बाद भी लोग ए.सी. को सभ्य मानते हैं क्योंकि यह कूलर की तरह आवाज नहीं करता है । ए. सी की वजह से कभी किसी को जुर्माना नहीं भरना पड़ता है क्योंकि इसे चेक करने वाला कोई नहीं होता हैं लेकिन कूलर चेक  करने वाला आता है तो बिना जुर्माना ठोके नहीं जाता है भले ही पानी तुरंत बदला गया हो । इसी तरह कूलर वालों के पीछे  सब हाथ धो के पड़े रहते हैं ।  ए. सी. वालों को तंग करने की हिम्मत किसी में नहीं है । मच्छरों को भी कूलर ही पनाह देता है  ।  अब आप सोच सकते हैं की कूलर का दिल कितना बड़ा होता है । जिस मच्छर को कूलर रहने  ठिकाना  है वही मच्छर कूलर वाले का खून चूसने पर उतारू हो जाता है । ए. सी. वालों को मजा तभी आता है जब उन्हें धूप में निकलना पड़ता है । पूरा हिसाब किताब बराबर हो जाता है । उन्हें देखकर सूरज भी बोलता होगा ' अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे ।' कूलर की एक खासियत और है की यह अपनी इज्जत के साथ समझौता नहीं करता है और घास के  ही सही लेकिन कपडे पहन लेता है । ए. सी. की डिजाइनिंग इतनी अच्छी होती है की कपड़ों से उसकी इज्जत कम हो जाती है । कूलर हो या ए. सी. दोनों को एक बात तो समझ लेनी चाहिए की दोनों की कीमत तभी तक है जब तक गर्मी है । हालांकि ए.सी. तो मौसम के साथ अपना स्वभाव भी बदल लेता  है । बेचारा कूलर ही अपने सिद्धांतों पर अटल  रहता है । भले ही कूलर को उठाकर कबाड़ी को सौंप दिया जाए लेकिन वह अपनी परम्परा से समझौता करने को तैयार नहीं होता है । ए. सी. तो जब  देखता है की सर्दियां आ गयी हैं तो फट से अपना पाला बदल लेता है । कूलर और एसी. का मिलन तो असंभव ही  है । कूलर की खासियत है की वह हर हाल में नाचता रहता है और ए. सी. वायुमंडल  की वाष्प को समेटकर बूँद-बूँद आंसू बहाने को मजबूर है । अब पॉपुलर कल्चर का प्रभाव तो पड़ना  ही है । कूलर भी सज संवरकर मॉडर्न बनकर निकलने लगे हैं लेकिन कोई पुराने कूलर से पूछे कि  आज भी उसकी हालत क्या है ।  शायद असलियत वह न हो जो हम समझ रहे हैं । 

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