शनिवार, 11 अप्रैल 2015

फिल्मी गीतों में पानी

                 फिल्मी गीतों में पानी


 पानी का जितना महत्व हमारे जीवन में है फिल्मी गीतों में भी उतना ही रहा है | भारतीय सिनेमा में अक्सर ऐसे गीत गाये गए जिसमें पानी का जिक्र किया गया है | फिल्म लगान का काले मेघा , काले मेघा पानी तो बरसाओ किसे नहीं याद है |  इसी तरह गुरू फिल्म का , बरसो रे मेघा गाना भी लोगों की जुबान पर चढ़ गया | महबूबा फिल्म में गीत मेरे नैना सावन भादों किशोर कुमार की आवाज़ में फिल्माया गया जो सदाबहार गीतों में शुमार है |     मोहरा फिल्म में गाया गया गीत टिप – टिप बरसा पानी “ रोमांटिक गीतों के रूप में याद किया जाता है | पानी रे पानी तेरा रंग कैसा , शोर फिल्म का यह गीत पानी की क्वालिटी बताता है की पानी का अपना कोई रंग नहीं होता है लेकिन जिसमें भी मिला दिया जाये उसी के जैसा रंग हो जाता है | शोर फिल्म का एक और गाना है एक प्यार का नगमा है , मौजों की रवानी है इसके एक अंतरे में में कहा गया है आँखों का समंदर है , आशाओं का पानी है |’ माचिस फिल्म का गीत पानी –पानी रे स्वर  साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने गाया  है और अपने मधुर स्वर से पानी को और भी मीठा कर दिया है  | संजीव कुमार पर फिल्माया गया गीत ठंडे – ठंडे पानी से नहाना चाहिए किसे नहीं आता होगा | सर्दियों में यह गाना अनायास ही हमारे होठों पर आ जाता है | एक गीत जो 70 के दशक की याद दिलाता है ,जिसके बोल कानों में घुलते ही पानी की यात्रा को बताने लगते हैं  और साथ में जिज्ञासा भी पैदा करता है   ताल मिले नदी के जल से , नदी मिले सागर से , सागर मिले कौन से जल से |   पानी की सबसे ज्यादा जरूरत किसान को होती है और अगर बेमौसम बारिश होती है तो उसका नुक्सान भी किसान को ही उठाना पड़ता है | श्याम बेनेगल की फिल्म 'वेल डन अब्बा' भी पानी की समस्या को दिखाने वाली एक अच्छी फिल्म थी | इसमें 'पानी को तरसते' गीत को को भावनात्मक रूप से दिखाया गया | गीतों के अलावा गज़लों में भी पाने की अहमियत बताई गई है | खासकर बचपन में पानी और बारिश बहुत अच्छी लगती है | जगजीत सिंह की गजल ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो , भले छीन लो मुझसे मेरे जवानी , मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन , वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी |’

कवियों के कल्पना में पानी का स्थान हमेशा से रहा है इसीलिए शायद फिल्मी गीतों में भी पानी को शामिल किया गया है | बादल , सागर , बारिश और पानी से संबन्धित सैकड़ों गीत हिन्दी फिल्मों में मिल जाएँगे |  कभी पानी को देखकर गीत गाये गए तो कभी पानी की कमी पर गीत गाये गए | वास्तव में पानी अगर समय पर बरसता है तो यह खुशी का परिचायक है , पानी बरसता देख कर जंगल में मोर भी खुशी से नाचने लगते हैं, इसीलिए बहुत पुराने समय से ही पानी पर गीत बनाए और गाये जा रहे हैं |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें