राम तेरी गंगा मैली
भारतीय
संस्कृति में नदियो को भी माँ का दर्जा दिया गया है | पुराणों
में नदियों से संबन्धित बहुत सारी कहानियाँ भी हैं जिसमें नदियों को मानव रूप में
देखा गया है | महाभारत जैसे ग्रंथ में तो गंगा से कथा की
शुरुआत ही होती है | नदियों के किनारे ही अनेक सभ्यताओं का
जन्म हुआ | आज परिस्थिति यह है की नदियां लुप्तप्राय हो रही
हैं | जल संपदा से सम्पन्न रहने वाले नदियां आज सूखने के
कगार पर हैं | भारत में मोक्षदायी मानी जाने वाली गंगा और
यमुना नदी की भी स्थिति दयनीय हो गई है | दिल्ली में यमुना
को पहचानना भी मुश्किल हो गया है | कहा जाता है कि यमुना के
पानी का रंग हरा होता है लेकिन आज यह काले रंग का नज़र आता है | नदी और नाले में अंतर कर पाना भी मुश्किल हो गया है |
इस
स्थिति के लिए हमारे उद्योग ज्यादा जिम्मेदार हैं | गंगा और यमुना के अलावा
अन्य छोटी बड़ी नदियों का भी हाल ऐसा ही है | अगर गोमती नदी
की बात करें तो लखनऊ शहर में नदी के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं | बिना नदियों के पर्यावरण की रक्षा कर पाना संभव नहीं है | गंगा के किनारे बहुत सारे तीर्थ स्थान भी हैं जहां श्रद्धालु आते हैं और
गंगा नदी में स्नान भी करते हैं | आज गंगा नहाने के काबिल भी
नहीं रह गई | जो जल वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता था आज वह
नदी में भी शुद्ध नहीं है | नदियों में मछलियों की जगह
पॉलिथीन तैरती नज़र आती है | शहर का सारा कूड़ा कचरा नदियो में फेंक कर छुट्टी पा ली जाती है लेकिन यह
कचरा अप्रत्यक्ष रूप से किस प्रकार हमारे लिए हानिकारक होता है यह जानने की कोशिश
नही करते हैं | नदियों को साफ रखने की जीम्मेदारी न केवल
सरकार की है बल्कि हम सब की है | गंगा की सफाई को लेकर लंबे
समय से राजनीति होती रही है लेकिन आज भी कोई सार्थक परिणाम निकल कर नहीं आ रहा है | नदियों के तल में कचरा जमा होने के कारण जलस्तर ऊपर आ जाता है और जल में
ऑक्सिजन की कमी होने के कारण जलीय जीवों
का जीवित रहना कठिन हो जाता है | नदियों के प्रदूषण से
पर्यावरण की पूरी श्रंखला टूट रही है | गंगोत्री से निकलने
के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में गंगा पहले की तरह आज भी शुद्ध जल के साथ बहते है | हरिद्वा तक गंगा पावन नदी के रूप में दिखती है लेकिन मैदानी भाग में आते
ही हमारी करतूतें गंगा को मैली करने लगती हैं | समाज भी
मोक्ष की आकांक्षा लेकर गंगा तक जाता है , गंगा माँ की बुरी
हालत देख कर मुंह बना लेता है लेकिन एकजुट होकर कभी इस दिशा में कोई कदम नहीं
उठाते हैं | कई लोगों ने गंगा की सफाई के लिए अनशन का भी
सहारा लिया लेकिन परिणाम कुछ नही निकला | कुछ लोगों की तो
जान भी चली गई | गंगा की सफाई को लेकर सरकार भी गोलमोल जवाब
देती रहती है | अगर स्थिति ऐसी ही रही तो जल्दी ही भारत से
नदियां लुप्त हो जाएंगी और निदियों के साथ में सभ्यता भी क्षीण होने लगेगी |
नदियां
हमें जीवन देती हैं तो हमारा भी कर्तव्य है उनकी सुरक्षा करना | पहला काम
हमें अपने स्तर से शुरू करना चाहिए | किसी भी वेस्ट को नदी
में नहीं फेंकना चाहिए | दूसरों को भी नदियों की सफाई के
प्रति जागरूक करना चाहिए | हमारे सार्थक प्रयास से ही हम
नदियों और जल संपदा के रक्षण में कामयाब हो सकते हैं |
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