शनिवार, 18 अप्रैल 2015

पानी के बताशे (गोलगप्पे )

golgappe eating के लिए चित्र परिणामपानी के बताशे यानी गोलगप्पे का नाम सुनते ही हमारे मुह में पानी आ जाता है । यही एक ऐसा व्यंजन है जिसमें पानी भर के खाया जाता है ।  गोलगप्पे सभी को अच्छे लगते हैं । देखिये साहब हमारे लखनऊ में तो इसे पानी के बताशे कहते  हैं तो हम तो यही बोलेंगे । ये पानी का बताशा देखने में गोल मटोल जितना अच्छा लगता है उससे भी कहीं ज्यादा अच्छा इसे खाने वाले का मुंह लगता है । किसी के गाल कितने भी पिचके हुए हों लेकिन गोलगप्पे खाते समय ,  फूल ही जाते हैं । इसको हम बहुत सारे नामों से जानते हैं । लखनऊ में ' पानी के बताशे' , मेरठ में ' पटाखे ' , पंजाब में 'पानी पूरी' , दिल्ली में ' गोलगप्पे' , फैज़ाबाद  में  ' फुलकी' और ना जाने क्या क्या  । अच्छा जगह के हिसाब से इसका स्वाद भी थोड़ा बहुत बदल जाता है । गोलगप्पे का तो नहीं लेकिन पानी का स्वाद बदल जाता है । लखनऊ में शाम को गोलगप्पे खाने का अलग ही मजा है । 10 रुपये के 10 बताशे मिल जाते हैं तो स्वाद भी कुछ ज्यादा आता है । दिल्ली में आते ही ये गोलगप्पे सबसे पहले महंगाई का एहसास दिला देते हैं । 10 रुपये के केवल 4 मिलते  हैं वह भी सड़क किनारे ठेले पर अग्रवाल के गोलगप्पे तो गरीबों के लिए बनते ही नहीं हैं । बताओ पानी के बताशे में भी भेदभाव । अच्छा लखनऊ में १० गोलगप्पे खाने के बाद हम एक शानदार दही चटनी से लबालब बताशा और खा लेते हैं लेकिन दिल्ली में तो पानी पी के ही संतोष करना पड़ता है । पिछले साल तमिलनाडु के एक गाँव में जाना हुआ था । वहां भी मुझे पानी के बताशे दिख गए मैं बड़े शौक से दुकान पर जा पहुंचा और अपने दोस्तों के साथ 40 बताशों का आर्डर दे दिया । जब प्लेट सामने आई तो ना बताशे थे न पानी । असल में बताशे फोड़ कर प्लेट में लाये गए थे  । बस किसी तरह खा लिया और आज भी सोचता रहता हूँ की जब फोड़कर ही देने थे तो गोलगप्पे बनाये ही क्यूँ गए थे । लखनऊ में बताशे में मटर भरकर खिलाते हैं लेकिन दिल्ली में आलू भरकर खिला देते हैं । हे भगवान इतने चालाक लोग , गोलगप्पे को भी नहीं बक्शा । इंसानों का क्या होगा ? बेचारा गोलगप्पा आलू खा खा के  परेशान हो गया होगा । अच्छा एक बात और ,पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को गोलगप्पे  पसंद होते हैं । नई नई शादी के बाद अगर किसी ने अपनी पत्नी के साथ सड़क किनारे ठेले पर गोलगप्पे न खाए तो आधा मजा तो यूं ही खराब हो गया समझो । घूंघट वाली नई नवेली दुल्हनों को पानी के बताशे खाने में थोड़ी परेशानी होती है लेकिन दूसरी और आराम भी रहता है क्योंकि उनके फूले हुए गाल कोई देख नहीं पाता  है ।  और पति गिन भी नहीं पाता  है की मैडम कितने गोलगप्पे खा गयी । जिसका मुंह जितना बड़ा होता है गोलगप्पे खाना उतना हीआसान होता है । ज्यादा बोलने वाले लोग ज्यादा गोलगप्पे खातेहैं क्योंकि उनका मुंह अपेक्षाकृत बड़ा हो जाता है । अच्छा इस मामले में मैं महिलाओं का नाम बिल्कुल नहीं लूंगा । कोशिश करनी चाहिए की गोलगप्पे खाने जाए तो अकेले न जाए क्योंकि अगर हम दुकान पर अकेले पड़  जाते हैं तो गोलगप्पे वाला बड़ी बेरहमी से खिलाता है । सांस भी नहीं लेने देता और दूसरा गोलगप्पा रख देता है । मैं  तीखा कम खाता हूँ । ऐसे में मैं मुंह से गोलगप्पे के साथ जितना पानी पीता हूँ उतना मेरी आँखों से बाहर आ जाता है । खैर यह ऑसम व्यंजन है । सदाबहार भी है । पानी का बताशा हमेशा लोकप्रिय रहेगा , चाहे जितने नए व्यंजन बाजार में आ जाएँ । इतना लिखने के बाद अब मैं बिना गोलगप्पे  खाए नहीं रह सकता । मैं जा रहा हूँ आपका मन हो तो आप भी चल सकते हैं । 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें